अपनी ढाल मैं खुद हूँ, आत्मनिर्भर बनने दो मुझे। अपनी ढाल मैं खुद हूँ, आत्मनिर्भर बनने दो मुझे।
स्नेह से भरी चिट्ठी लिखी पर अफ़सोस रखी रह गई वहीं। स्नेह से भरी चिट्ठी लिखी पर अफ़सोस रखी रह गई वहीं।
गाड़ियों की शान में तो हम भविष्य को कुर्बान करते हैं कटते हैं पेड़ तो कट जाए कौन परवाह करे ठंडी ... गाड़ियों की शान में तो हम भविष्य को कुर्बान करते हैं कटते हैं पेड़ तो कट जाए ...
वो निश्छल सा बचपन कहाँ खो गया। वो निश्छल सा बचपन कहाँ खो गया।
थाम माता पिता का हाथ नैतिकता का पाठ पढ़ा था ! थाम माता पिता का हाथ नैतिकता का पाठ पढ़ा था !
मैं सबकी सुनता हूँ करता मन की हूँ, पता नहीं कब सफलता मिलेगी ? मैं सबकी सुनता हूँ करता मन की हूँ, पता नहीं कब सफलता मिलेगी ?